मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र में सत्ताधारी दल भाजपा-शिवसेना ने राज्य में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य करने की मांग की है. जिसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने इस का विरोध करते हुए कहा कि वो किसी भी कीमत पर ‘वंदे मातरम’ नहीं गाएंगे. वह इसे किसी भी परिस्थिति में नहीं गाएंगे. चाहे तो जेल में डाल दो या देश से बाहर निकाल दो लेकिन, ‘वंदे मातरम’ नहीं गाऊंगा. आजमी ने आगे कहा कि विभाजन के समय ये नहीं कहा गया था कि भारत में रुकने वाले मुस्लिम को ‘वंदे मारतम’ गाना होगा. “मैं ‘वंदे मातरम’ का सम्मान करता हूं, परंतु मेरा मजहब मुझे वंदे मातरम कहने की इजाजत नहीं देता.”
दरअसल, बीजेपी विधायक राज पुरोहित ने मांग की है कि महाराष्ट्र में स्कूल-कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य किया जाए. पुरोहित की इस मांग का शिवसेना ने भी समर्थन किया है लेकिन, सपा और एमआईएम जैसी पार्टियों के नेता इसके विरोध में आ गए हैं.
पुरोहित ने बृहस्पतिवार को विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में ‘वंदे मातरम’ अनिवार्य करने के लिए यदि जरूरत हुई तो सदन में भी यह मांग उठाऊंगा. पुरोहित की इस मांग पर सांसद असुउद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम और सपा ने एक सुर में विरोध शुरू कर दिया है.
एमआईएम विधायक वारिस पठान ने कहा कि कोई विचारधारा किसी पर थोपी नहीं जा सकती. मैं ‘वंदे मातरम’ नहीं गाऊंगा. वारिस पठान ने अपने पार्टी के नेता असुउद्दीन ओवैसी की तर्ज पर कहा कि मेरे गले पर कोई छुरी रख कर या बंदूक रख कर भी बोलने को कहे तब भी ‘वंदे मातरम’ नहीं बोलूंगा. विधानसभा में यदि यह मुद्दा उठा तो विरोध करूंगा.
‘वंदे मातरम’ के मामले में शिवसेना नेता व सूबे के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने कहा कि किसी की गर्दन पर छुरी रखने का सवाल नहीं है. अगर उनको ‘वंदे मातरम’ कहने में इतनी शर्म लगती है तो वो खुद यहां से चले जाएं. यह हमारी मातृ भूमि है.
इस भूमि को स्वतंत्र करने वाला गीत है और उस गीत का आदर करने में तकलीफ होती है तो वे यहां से चले जाएं. रावते ने कहा कि उनको पाकिस्तान की ही याद क्यों आती है. उन्हें बांग्लादेश की याद क्यों नहीं आती. यहां रहते है लेकिन दिल से पाकिस्तानी हैं.
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