छत्रसाल स्टेडियम में देश के ७१वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और ठेकेदारी प्रथा से मुक्ति की तमाम लुभावनी घोषणाएं कीं और दिल्ली सरकार की उपलब्धियां भी गिनार्इं. इसके साथ ही केजरीवाल ने केंद्र की स्मार्ट सिटी की नीति पर तंज कसते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी नहीं बल्कि स्मार्ट सिटिजन बनाने की जरूरत है जोकि शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल से ही संभव है. शिक्षा के मुद्दे पर दिल्ली सरकार की प्राथमिकता का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने केंद्र की आठवीं तक फेल न करने की नीति की आलोचना की और साथ ही घोषणा की कि इस साल दसवीं में फेल ६०,००० बच्चों को न केवल स्कूल में दाखिला मिलेगा बल्कि उनके लिए विशेष कक्षाएं भी लगेंगी.
उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकारों ने आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति बनाई, जिससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई. विद्यार्थियों ने जब पहली बार नौवीं कक्षा में परीक्षा दी तो बड़ी संख्या में फेल हुए.’ इसके साथ ही केजरीवाल ने कौशल विकास के जरिए रोजगार का सपना पूरा करने के लिए एक साल के भीतर २५ कौशल केंद्र खोले जाने की बात कही, जिससे एक साल में २५ हजार युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार के लिए तैयार किया जाएगा.
स्वतंत्रता दिवस के भाषण में केजरीवाल ने मजदूरों को ठेकेदारों के चंगुल से मुक्त करने की दिशा में भी काम करने की घोषणा की और राजनीतिक दलों व उपराज्यपाल से इस मामले में राजनीति न करने और किसी भी तरह की बाधा न डालने की अपील की. केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने देश में पहली बार न्यूनतम मजदूरी में ३७ फीसद की बढ़ोतरी की घोषणा की, लेकिन ठेकेदारों के कारण वह मजदूरी उन्हें मिल नहीं पा रही है. ठेकेदार मजदूरों से दस्तखत तो १३,५०० रुपए पर करवाते हैं, लेकिन देते सिर्फ ६,००० ही हैं.’
केजरीवाल ने कहा कि देश के कानून के मुताबिक कोई भी काम जो साल भर चलता है जैसे सिक्योरिटी या सफाई, उसके लिए ठेके पर कर्मचारी नहीं रखे जा सकते बल्कि स्थायी पोस्ट बनाई जानी चाहिए. वह तमाम बाधाओं के बावजूद ठेकेदारी प्रथा बंद करवा कर रहेंगे. साथ ही उन्होंने ठेकेदारों को चेताया कि वे सुधर जाएं नहीं तो सुधार दिए जाएंगे.
केजरीवाल ने कहा कि आजादी के सत्तर सालों में देश ने काफी तरक्की की लेकिन अभी भी यह विकसीत देशों की श्रेणी में नहीं आ पाया है, जबकि हमारे बाद आजाद हुए या द्वितीय विश्वयुद्ध में तबाह हुए कई देश विकसित श्रेणी में हैं और इसके पीछे कारण है तमाम सरकारों द्वारा शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान न देना. मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत लोगों को स्मार्ट बनाने की है फिर शहर और गांव खुद-ब-खुद स्मार्ट बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार इस दिशा में पूरी तरह प्रयासरत है.
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