एक अहम फैसले के तहत सरकार ने सैन्य बलों को आर्थिक अधिकार देने का फैसला किया है. अब सेना को पैसे के लिए बार-बार रक्षा मंत्रालय की ओर नहीं देखना पड़ेगा. उप प्रमुखों को शक्ति दी गई है. वो साल में आठ सौ करोड़ रुपये तक खर्च कर सकेंगे. इसके तहत सेना के संवेदनशील बेसों को चाकचौबंद बनाने का काम तेज होगा.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के उड़ी व पंजाब के पठानकोट में सेना के ठिकानों पर हुए आतंकी हमलों के बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया था. ले. जनरल फिलिप कंपोज ने मई में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. उनका कहना था कि देश में थल, वायु व नौ सेना के तीन हजार बेस संवेदनशील हैं जबकि छह सौ ठिकाने इस मामले में अति संवेदनशील हैं. समिति ने इन्हें दुरुस्त करने की सलाह सरकार को दी थी. उसके बाद सेना ने सरकार से दो हजार करोड़ रुपये जारी करने की मांग की जिससे समिति की सिफारिशों के अनुसार काम किया जा सके, लेकिन पैसा जारी नहीं हो सका.
सेना की तीनों विंग लंबे समय से सरकार पर इस सिलसिले में दबाव बना रही थीं. हाल के दिनों में जिस तरह से चीन व पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर विवाद खड़ा हुआ है उसने सरकार को जल्द फैसला लेने के लिए बाध्य किया.
सेना पूरी तरह से तैयार: जेटली रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संसद में बताया कि सेना की तीनों विंग पूरी तरह से तैयार हैं. उनके पास गोला बारूद व हथियार पर्याप्त मात्रा में है. उल्लेखनीय है कि सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि सेना के पास केवल दस दिन का गोला बारूद ही बचा है. जेटली ने कहा कि सरकार ने हाल में कुछ फैसले लिए हैं. इनमें सबसे प्रमुख यह है कि छोटे व त्वरित युद्ध के हथियार उप सेना प्रमुख सीधे खरीद सकेंगे. उनका कहना था कि सरकार पूरी तरह से इस ओर ध्यान दे रही है.
चीन और पाक से साथ हो रहे विवाद पर उनका कहना था कि सेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सरकार अब हथियारों के निर्माण में स्वदेशी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है. कई बड़ी कंपनियां रक्षा उत्पाद बनाने का काम कर रही हैं.
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