डोकलाम विवाद सुलझता दिख रहा है. भारत और चीन दोनों ही अपनी-अपनी सेना हटाने को तैयार हो गए हैं. लगभग दो महीने से दोनों देशों की सेनाएं डोकलाम में डटी हुई थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, रविश कुमार ने इस फैसले पर विदेश मंत्रालय का बयान ट्वीट किया है. इस घोषणा को भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है क्योंकि भारत इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने के पक्ष में था, जबकि चीन भारत को लगातार युद्ध के लिए धमका रहा था.
MEA Press Statement on Doklam Disengagement Understanding pic.twitter.com/fVo4N0eaf8 — Raveesh Kumar (@MEAIndia) August 28, 2017
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विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देश अपनी सेनाएं डोकलाम से पीछे हटा रहे हैं. मंत्रालय से बताया गया है कि इस मुद्दे को लेकर पिछले कई दिनों से हो रही बातचीत में भारत ने चीन को अपनी चिंताओं से वाफिक कराया जिसके बाद सेनाएं हटाने का फैसला हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन के लिए प्रस्तावित ३ सितंबर से चीन दौरे के पहले इसे भारत की कूटनीतिक विजय के तौर पर देखा जा रहा है.
कई स्तरों पर चल रही थी बातचीत,ब्रिक्स के लिए बना माहौल: सूत्रों के मुताबिक विदेश सचिव एस जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल की चीनी समकक्ष से लगातार इस मसले पर बातचीत हो रही थी. चीन के रूख देखकर पहले लग रहा था कि ब्रिक्स सम्मेलन के पहले कोई बात नहीं बनेगी लेकिन इससे ब्रिक्स का माहौल बिगड़ने का अंदेशा था. भारत और चीन दोनों ब्रिक्स के अहम साझेदार हैं. अगर दोनों देशों में गतिरोध नहीं टूटता तो प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिक्स यात्रा पर भी संशय हो सकता था.
बड़ी कूटनीतिक जीत: सूत्रों का कहना है कि ब्रिक्स के अन्य देशों का भी दबाव दोनों देशों पर जल्द विवाद निपटाने को लेकर बना हुआ था. विशेषज्ञों का कहना है कि यह निश्चित रूप से भारत की कूटनीतिक जीत है. इस विवाद के निपटारे से क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति की स्थापना में मदद मिलेगी. चीन की ओर से जिस तरह से लगातार युद्ध की धमकी दी जा रही थी उससे माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था. लेकिन भारत लगातार अपनी ओर से संयम बनाए रहा. भारत ने कूटनीतिक विकल्पों को खुला रखा इससे विवाद निपटाने में मदद मिली.
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