‘वर्ल्ड कप २०१९’ बहुत जोरों से क्रिकेट फॅन्स पर छा रहा है। वर्ल्ड कप में हमेशा चर्चा होती है भारत विरुद्ध पाकिस्तान के मैच की। दोनों टिम्स इतनी तगड़ी है के पिच के अलावा, बाहर भी इनके दुश्मनी की गरमा-गरमी शुरु रहती है। एक दूसरे को हराने के लिए यह दोनों टिम्स हमेशा तैयार रहती है। क्रिकेट पिच पर घमासान युद्ध तो होता ही है लेकीन पिच के बाहर नारे, ऍड्स के इस्तेमाल कर यह गरमी बरकरार रहती है। कोई और टिम्स के क्रिकेट मैच की बात नहीं होती जितनी भारत बनाम पाकिस्तान मैच की होती है। जहां पर क्रिकेट मैच खेल की नहीं बल्की सम्मान की जंग बन जाती है। यही जंग विज्ञापन में भी दिखाई देती है।
पाकिस्तान का कुत्सित विज्ञापन
हालही में पाकिस्तान ने, भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन का मजाक उड़ाने वाला विज्ञापन बनाया और वह बहुत वायरल भी हुआ। घुसपैठी पाकिस्तानी लड़ाकू विमान को मार गिराने वाले भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने बंदी बनाया था। उसी के उपर पाकिस्तान ने मज़ाकीया तौर पर विज्ञापन बनाया है। इस विज्ञापन में बंदी विंग कमांडर की पुछताछ हो रही है और वह चाय पी रहे है। उनकी पुछताछ पुरी होने पर उन्हे छोड़ दिया जाता है। पर जाते जाते, उन्हे रोक कर कहां जाता है ‘कप कहॉं लेकर जा रहे हो’। और कप उनके हाथ से छीन लिया जाता है। इस विज्ञापन में पाकिस्तान नें #LetsBringTheCupHome इस हैशटैग का इस्तेमाल किया है।
भारत के भावनाहीन विज्ञापन
वही दुसरी तरफ भारत हमेशा पाकिस्तान को ‘बाप-बाप होता है’ जैसे ताने मारने वाले विज्ञापन बनाता है। जहां पर पाकिस्तान को निचा दिखाते हुए क्रिकेट मैच तो भारत ही जितेगा और कप भी भारत लेके जाएगा ऐसा व्हीडिओ विज्ञापन में दिखाते है।
पाकिस्तान और भारत दोनों देश के बिच चलने वाली दुश्मनी से हर कोई वाकिफ है। पर अगर सीमा पर चलने वाली लढ़ाई जब खेल के मैदान पर आती है, तब दृश्य अलग हो जाता है। ऐसी विज्ञापन खेल के रंग को बेरंग कर देती है एवं ना कुछ नीती देखते है ना नियम, बल्की उनका स्तर गिर जाता है। सामाजिक नैतिकता खोने वाले यह विज्ञापन लोगों में फेमस भी हो जाते है। इन में विज्ञापन बनाने वालों की नही बल्की हमारी ही गलती है क्योंकि भारत बनाम पाकिस्तान के मैच को हम हमेशा जंग की तरह देखते है। और एक दुसरे को हराना हम धर्म समझते है। खेल की दुनिया जब धर्मयुद्ध का आखाड़ा बन जाता है तब यही हाल होता है। क्रिकेट को एक खेल की तरह ही हमें देखना चाहिए। क्योंकि सच्चा खेलप्रेमी कोई भी खेल भावनात्मक दृष्टीकोन से नहीं बल्कि उत्सूकता से देखता है।
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