कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पर आरोप लगाने वाले उनके ट्वीट में ‘शिरडी’ शब्द को लेकर शिरडी के श्री साईबाबा संस्थान ने कड़ी आपत्ति जताई है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था कि “शिरडी के चमत्कारों” की कोई “सीमा” ही नहीं।
राहुल गांधी के इस कृत्य से विश्व प्रसिद्ध श्री साईबाबा संस्थान, शिरडी काफी नाराज है। संस्थान के चेयरमैन डॉक्टर सुरेश हवारे ने ट्वीट किया है कि “राहुल जी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच शिरडी को खींचना बहुत दर्दनाक है। इससे देश-विदेश के साई भक्तों को बहुत ठेस पहुंची है। सभी साई भक्तों की ओर से हम इसकी निंदा करते हैं। इस अपमान के लिए साई भक्तों से आपको माफी मांगनी चाहिए।”
राहुलजी, राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच “शिर्डी “ को खिचना बहुत दर्दनाक है। ईससे, देश-विदेशके साईभक्तोंको बहुत ठेस पहुंची है।सभी साईभक्तोंकी ओरसे हम इसकी निंदा करते है।इस अपमानके लिए साईभक्तोंकी आपने माफी मांगनी चाहिए। pic.twitter.com/6OZobd8NQ6 — Dr. Suresh Haware (@sureshhaware) April 11, 2018
राहुलजी, राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच “शिर्डी “ को खिचना बहुत दर्दनाक है। ईससे, देश-विदेशके साईभक्तोंको बहुत ठेस पहुंची है।सभी साईभक्तोंकी ओरसे हम इसकी निंदा करते है।इस अपमानके लिए साईभक्तोंकी आपने माफी मांगनी चाहिए। pic.twitter.com/6OZobd8NQ6
— Dr. Suresh Haware (@sureshhaware) April 11, 2018
राहुल गांधी ने अपने इस कुकृत्य के लिए अब तक माफी नहीं मांगी है, लेकिन साई भक्तों ने राहुल गांधी को इसके लिए जमकर लताड़ लगाई है। कई लोगों ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष को धर्म में कतई विश्वास नहीं है, यही वजह है कि वो हमेशा ऊलजलूल बातें करते रहते हैं। देखिए लोगों ने किस तरह की प्रतिक्रिया दी है।
हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करती रही है कांग्रेस: यह कोई पहला वाकया नहीं है, इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी और उसके नेता हिंदू धर्म का अपमान करते रहे हैं। एक नहीं ऐसे अनेकों मामले हैं जो ये साबित करते हैं कि कांग्रेस पार्टी लगातार हिंदू आस्था से खिलवाड़ करती रही है। उसे न तो सनातन संस्कृति से प्रेम है और न ही साधु-संतों के प्रति सम्मान का भाव है।
साधु-संतों का सम्मान नहीं देख सकती कांग्रेस: हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने चार संतों को मंत्री का दर्जा प्रदान किया है। इसका भी कांग्रेस पार्टी ने पुरजोर विरोध किया था। दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के तटीय इलाकों में पौधारोपण और जल संरक्षण संबंधी मामलों के लिए एक विशेष समिति गठित की है। राज्य सरकार ने इसके सदस्य नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और योगेंद्र महंत को राज्य मंत्री का दर्जा प्रदान किया है। राज्य सरकार का यह निर्णय साधु संतों को सम्मान देने के साथ ही वृक्षारोपण, जल संरक्षण के साथ स्वच्छता जैसे सामाजिक और पर्यावरणीय सरोकारों से जुड़े मामलों पर संतों का साथ लेने की एक कोशिश है। क्योंकि समाज में हमारे संत अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन हिंदू विरोध की नीति पर चल रही कांग्रेस को यह बात रास नहीं आई। सरकार के इस सकारात्मक और रचनात्मक पहल की प्रशंसा करने के बजाय कांग्रेस ने उल्टा साधु-संतों का अपमान करना शुरू कर दिया है।
ये राहुल गांधी अपनी घटिया और गंदी राजनीति में बार बार हिन्दू धर्म को क्यों बीच में ले आता है?क्या बिना धर्म को लाए इसकी घिनौनी राजनीति नहीं चल सकती?अगर किसी और धर्म का नाम लिया होता तो इसके खिलाफ लाखों फतवे निकल गए होते और ये अपने Piddiyo 🐕 के साथ जगह जगह नाक रगड़ रहा होता। — PřªşĥãⁿŤ Dï×îT🐦 (@imprashantdixit) April 11, 2018
ये राहुल गांधी अपनी घटिया और गंदी राजनीति में बार बार हिन्दू धर्म को क्यों बीच में ले आता है?क्या बिना धर्म को लाए इसकी घिनौनी राजनीति नहीं चल सकती?अगर किसी और धर्म का नाम लिया होता तो इसके खिलाफ लाखों फतवे निकल गए होते और ये अपने Piddiyo 🐕 के साथ जगह जगह नाक रगड़ रहा होता।
— PřªşĥãⁿŤ Dï×îT🐦 (@imprashantdixit) April 11, 2018
कांग्रेस पार्टी की नेता खुशबू सुंदर ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने इस कदम का उपहास उड़ाते हुए नगा साधुओं की एक तस्वीर डालते हुए लिखा है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में कुछ दिनों में यही दृश्य देखने को मिलेगा।
दरअसल समाज में संत प्रेरणा और चेतना जागृत करते हैं, इसलिए जल संरक्षण और वृक्षारोपण के प्रयास उनके माध्यम से तेजी से होंगे। लेकिन कांग्रेस को यह कतई पसंद नहीं कि हिंदू साधु-संतों सम्मान किया जाए। कांग्रेस लगातार खुद को हिंदुओं की हितैषी साबित करने में लगी हुई है। पार्टी के अध्यक्ष लगातार मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया जाना यह साबित करता है कि वास्तव में कांग्रेस क्या है?
कांग्रेस की परंपरा रही है हिंदू विरोध: कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारें भी हिंदू परंपरा और धर्म का उपहास उड़ाती रही हैं। आरोप तो यहां तक हैं कि ऐसे लोगों को इतिहास लिखने को दिया गया, जिन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर हिंदुओं को बदनाम किया। हिंदू कोड बिल लेकर आने वाली कांग्रेस ने हमेशा कॉमन सिविल कोड का विरोध किया और ट्रिपल तलाक के मसले को साजिश ठहराने की कोशिश की। 2012 में मनमोहन सिंह की सरकार ने मुस्लिम आरक्षण विधेयक लाकर अपना असली चेहरा दिखा दिया था। यही नहीं जब पिछले साल मोदी सरकार ने असम में हिंदुओं और गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने का फैसला किया, तो कांग्रेस ने उसका विरोध किया। इसके साथ ही जबरिया धर्म-परिवर्तन के हर मामले में कांग्रेस गैर-हिंदुओं के साथ खड़ी रही, लेकिन जब कोई हिंदू बना तो उसे गलत करार देने में पल भर का भी समय नहीं लिया।
वंदे मातरम का भी विरोध करती रही है कांग्रेस: आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी। जबकि इससे पहले तक तमाम मुस्लिम नेता वंदे मातरम गाते थे। नेहरू ने ये रुख लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को शह दे दी। जिसका नतीजा देश आज भी भुगत रहा है। आज तो स्थिति यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है। जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं।
देवी-देवताओं से अपने चुनावी चिह्न को जोड़ा: इतना ही नहीं राहुल गांधी ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए पार्टी चुनाव चिह्न को ही सारे देवी-देवताओं से जोड़ दिया। देवी-देवताओं के हाथ जो कि हमारे आशीर्वाद के लिए उठे हैं, उसे कांग्रेस का चुनाव चिह्न बता दिया।
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