11 दिसंबर 2019 , दिन बुधवार , जब तमाम बहस बाजियों, हंगामों और प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति की मुहर लग जाने के बाद नागरिकता संशोधन बिल (CAB) ने कानून का रूप लिया। इस दिन धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे हिंदुस्तानियों के चेहरों पर मुस्कान और आंसू एक साथ आ गए जब इन लोगों ने CAB को उनके जीवन का चमत्कार मान लिया। जहां एक ओर खुशी दिखी वहीं CAB का विरोध करने वालों की भी कमी नहीं रही। इसे लेकर देश भर में बवाल आज भी जारी है। बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल पास होने से पहले से ही कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी पार्टियां इसका विरोध करती आई हैं। लोकसभा में भी इसे लेकर खूब हंगामे हुए । लेकिन पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों पर बढ़ते अत्याचारों को देखते हुए ये कानून पास करवाना जरूरी हो गया था
जानकारी के लिए बता दें कि असल में ये बिल यहां पर रह रहे अल्पसंख्यकों को कहीं से कहीं तक नुकसान नहीं कर रहा है। जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से अवैध तरीके से आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को लोगों को आसानी से भारतीय नागरिकता देने का वादा करता है। वहीं साथ ही इन इलाकों में रह रहे धर्म विशेष के लोगों को हिंदुस्तान लौटने का भी सुनहारा मौका दे रहा है । जिससे बदत्तर पड़ी जिंदगी को ये लोग दोबारा से संवार सकेंगे और अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे।
CAB पास हो जाने के बाद से ही धार्मिक उत्पीड़न से जूझ रहे लोगों में खुशी की लहर दौड़ आई है। वे खुश है कि इस कानून के बाद वे अपने घर अपने वतन लौट सकेंगे और अपने लोगों के बीच रहने का मौका मिलेगा। जबकि इससे पहले नागरिकता कानून 1955 के अनुसार, किसी अवैध अप्रवासी नागरिक को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती थी। सरकार ने इस कानून में संशोधन के जरिये अब नागरिकता कानून 2019 के हिसाब से अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता आसानी से देने का फैसला किया है। इससे पड़ोसी तीनों देशों में अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक पद्धति, उसके पालन और आस्था रखने में जो भी बाधा आ रही थी। वो पूरी तरह से दूर हो जाएगी। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से अवैध तरीके से आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोग जो भारत में रहना चाहते हैं। सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
CAB 2019 बनने के बाद जो हिंसक विरोध प्रदर्शन पूर्वोत्तर के राज्यों में शुरू हुआ था, अब वह देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया है। पूर्वोत्तर के राज्यों को एक ओर जहां अपनी अस्मिता की चिंता है, तो देश के अन्य राज्य इस कानून को ही गैर-संवैधानिक करार दे रहे हैं। तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करने वाला नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 पर बवाल मचा हुआ है। लेकिन विधेयक के पक्ष में पड़े 125 मतों और इसके समर्थन में खड़ी सैकड़ाें की आबादी ने विपक्षियों को तर्क को बेबुनियाद करार दिया है। वहीं अब इन प्रदर्शनों , हंगामों को पीछे छोड़ , देशवासी अपने परिवारों , दूसरे मुल्क में रह रहे अपने भाईयों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
–समीर सिंह
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